विदिशा, मध्य प्रदेश – 16 अप्रैल, 2025 – हालिया खबरों और पिछले आंकड़ों से मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (एमपीईबी), विशेषकर विदिशा क्षेत्र में कथित रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार की चिंताजनक प्रवृत्ति का पता चलता है। हालाँकि, आज कोई विशेष, सत्यापित घटना सामने नहीं आई है, लेकिन पिछली घटनाओं और संबंधित समाचारों की समीक्षा से पता चलता है कि राज्य के बिजली क्षेत्र में, जिसमें एमपीईबी के अधिकार क्षेत्र वाले क्षेत्र भी शामिल हैं, रिश्वतखोरी का मुद्दा एक संभावित चिंता का विषय बना हुआ है।
पिछली घटनाओं से भ्रष्टाचार की संभावना उजागर:
* फरवरी २०२३: मध्य प्रदेश की एक सरकारी बिजली कंपनी के एक जूनियर इंजीनियर को कथित तौर पर बिजली संबंधी मामले को निपटाने के लिए रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया था। हालाँकि यह विशेष घटना नरसिंहपुर में हुई थी, लेकिन यह राज्य के भीतर बिजली क्षेत्र की ऐसी प्रथाओं के प्रति संवेदनशीलता को उजागर करती है।
* मार्च २०२४: मध्य प्रदेश मत्स्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी को विदिशा में केंद्र सरकार की योजना के तहत धन स्वीकृत करने के लिए कथित तौर पर ५०,००० रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। हालाँकि यह घटना सीधे तौर पर एमपीईबी से संबंधित नहीं है, लेकिन यह विदिशा क्षेत्र में सरकारी विभागों के भीतर भ्रष्टाचार की उपस्थिति को दर्शाती है।
* ऐतिहासिक मामले: २०१३ की पुरानी रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि मध्य प्रदेश में सरकारी अधिकारियों, जिनमें तत्कालीन एमपीईबी के बिजली क्षेत्र के अधिकारी भी शामिल थे, पर लोकायुक्त के छापों में भारी मात्रा में बेहिसाब संपत्ति का पता चला था, जो राज्य के विभागों के भीतर भ्रष्टाचार के एक लंबे समय से चले आ रहे मुद्दे का सुझाव देता है। एक रिपोर्ट में ऐसे छापों के दौरान एमपीईबी के एक इंजीनियर से ५० करोड़ रुपये की बरामदगी का उल्लेख किया गया था।
* अन्य क्षेत्र: हाल ही में, अक्टूबर २०२४ में, मध्य प्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (एमपीपीकेवीवीसीएल) से जुड़े इंदौर में एक बड़े बिजली ग्रिड घोटाले के आरोप सामने आए, जहाँ अधिकारियों पर निजी डेवलपर्स के साथ मिलीभगत करने का आरोप लगाया गया था। हालाँकि यह एक अलग क्षेत्र और एक अलग वितरण कंपनी में है, लेकिन यह राज्य के बिजली वितरण नेटवर्क के भीतर प्रणालीगत मुद्दों की ओर इशारा करता है।
उपभोक्ताओं पर प्रभाव:
एमपीईबी के भीतर रिश्वतखोरी के आरोपों के विदिशा के उपभोक्ताओं के लिए कई नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं:
* बढ़ी हुई लागत: ठेकेदारों या व्यक्तियों द्वारा दी गई रिश्वत अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ी हुई परियोजना लागत या सेवा शुल्क का कारण बन सकती है, जिसे अंततः उपभोक्ताओं पर डाला जा सकता है।
* विलंबित सेवाएं: नए कनेक्शन, बिलिंग समस्याओं को हल करने या बिजली कटौती को संबोधित करने जैसी सेवाओं में तेजी लाने के लिए व्यक्तियों को रिश्वत देने के लिए मजबूर किया जा सकता है।
* समझौता गुणवत्ता: यदि अधिकारी रिश्वत के प्रति संवेदनशील हैं, तो बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और रखरखाव कार्यों में गुणवत्ता से समझौता होने का खतरा है, जिससे बिजली की आपूर्ति में अधिक बार व्यवधान हो सकता है।
भ्रष्टाचार से निपटने के प्रयास:
मध्य प्रदेश राज्य में लोकायुक्त और आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) जैसी एजेंसियां हैं जो भ्रष्टाचार के मामलों की जांच और अभियोजन के लिए जिम्मेदार हैं। अतीत में गिरफ्तारियां हुई हैं, यह दर्शाता है कि ये एजेंसियां सक्रिय हैं।
विदिशा के उपभोक्ताओं के लिए:
यदि विदिशा में किसी भी एमपीईबी उपभोक्ता को रिश्वत की मांग का सामना करना पड़ता है या वे किसी भी भ्रष्ट आचरण को देखते हैं, तो उनके पास शिकायत दर्ज कराने के कई रास्ते हैं:
* कॉल सेंटर: एमपीईबी (मध्य प्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड - एमपीसीजेड, जिसमें विदिशा शामिल है) का २४x७ कॉल सेंटर १८०० २३३ १९१२ पर है या सीधे १९१२ डायल करें।
* सहायता नंबर (कॉल/व्हाट्सएप): ०७५५-२५५ १२२२.
* ऑनलाइन शिकायत: उपभोक्ता एमपीसीजेड पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
* ईमेल: शिकायतें [email address removed] या विदिशा ओएंडएम सर्कल के विशिष्ट महाप्रबंधक को [email address removed] पर भी भेजी जा सकती हैं।
* व्यक्तिगत रूप से: उपभोक्ता (ओएंडएम) सर्कल विदिशा, एमपीएमकेवीवीसीएल, विदिशा स्थित ओएंडएम सर्कल कार्यालय पर जा सकते हैं और संभावित रूप से ०७५९२-२५०३३६ पर संपर्क कर सकते हैं।
निष्कर्ष:
हालांकि आज एमपीईबी विदिशा के भीतर रिश्वतखोरी की कोई विशेष रिपोर्ट नहीं है, लेकिन ऐतिहासिक घटनाओं और राज्य के बिजली क्षेत्र में भ्रष्टाचार के बारे में चल रही चिंताओं से पता चलता है कि सतर्कता आवश्यक है। उपभोक्ताओं को प्रोत्साहित किया जाता है कि यदि उन्हें कोई अनैतिक मांग या प्रथाओं का सामना करना पड़ता है तो वे उपलब्ध शिकायत निवारण तंत्र का उपयोग करें। अधिकारियों से अपेक्षा की जाती है कि वे सभी बिजली उपभोक्ताओं के लिए कुशल और निष्पक्ष सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए भ्रष्टाचार की जांच और उसे रोकने के अपने प्रयासों को जारी रखें।
नोट: यह समाचार रिपोर्ट वर्तमान में उपलब्ध जानकारी और पिछली घटनाओं पर आधारित है। १६ अप्रैल, २०२५ को एमपीईबी विदिशा के भीतर किसी विशेष रिश्वतखोरी के मामले की पुष्टि नहीं हुई है।

Comments
Post a Comment