मन के हारे हार है, मन के जीते जीत। कुछ ऐसे ही मजबूत मन वाले हैं देश के पहले दृष्टिहीन तीरंदाज पवन कुमार। जन्म से देख नहीं सकते, लेकिन 30 मीटर की दूरी तक सटीक निशाना लगाते हैं।
100 फीसदी दृष्टिहीन होने के बावजूद लगता है जैसे मन की आंखों से ही टार्गेट देख लेते हों। पवन के कोच कुलदीप वेदवान कहते हैं- जिस पवन ने कभी धनुष छुआ भी नहीं था, आज उनका निशाना एकदम सटीक है। बिना देखे सिर्फ महसूस करके वे तीर चलाते हैं। प्रैक्टिस में पवन का परफॉर्मेंस देख कर भरोसा है कि वे देश के लिए गोल्ड मेडल लेकर आएंगे।
जम्मू के पाली गांव के रहने वाले पवन जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले के कटरा में माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड स्टेडियम में 4 साल से प्रैक्टिस कर रहे हैं। का जिक्र आता है, जिसमें वे सिर्फ आवाज सुनकर सटीक निशाना लगाते थे। पवन निशाने को महसूस करके यही करिश्मा दोहराते हैं। वे ऐसा कर पाएं इसके लिए कोच कुलदीप ने एक खास डिवाइस 'दिव्यदृष्टि' बनाई है। यह स्टैंड की तरह उनके धनुष के पास लगी होती है, जिससे वे निशाने को महसूस कर पाते हैं कि वे सही दिशा और सटीक एंगल में तीर चला रहे हैं या नहीं। इंटरनेशनल ऑर्चरी फेडरेशन ने इस डिवाइस के इस्तेमाल की इजाजत दी हुई है। कोच कुलदीप वेदवान बताते हैं- टूर्नामेंट में 6-6 के दो सेट होते हैं। हर सेट में 6 निशाने लगाने होते हैं। हर निशाने के लिए 10 पॉइंट मिलते हैं। यानी 36 निशाना लगाने के लिए 360 पॉइंट निर्धारित हैं। पवन 36 में से 30 निशाने सटीक लगाते हैं। उनका औसत पॉइंट 300 है, जो बहुत अच्छा माना जाता है। ऐसे ही दूसरे सेट में कैलकुलेट किया जाता है और 720 पॉइंट में से फाइनल रिजल्ट तय होता है।
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